Saturday, August 22, 2009

पाक-अफ़ग़ान सीमा पर अमरीका ने तालेबान समेत चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ रखा है. मुख्य संघर्ष क्षेत्र नक्शे में दिखाए गए हैं
इस्लामिक चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई में अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान सीमा को नई फ़्रंटलाइन घोषित किया है. कुछ इलाक़ें है जिन्हें चरमपंथियों ने अपना गढ़ बना लिया है. सेना और चरमपंथियों के बीच लगातार वहाँ संघर्ष होता रहता है. प्रमुख इलाक़ों पर नज़र

हेलमंद, चाघई

हेलमंद प्रांत के दक्षिणी मैदानी इलाक़ों में अफ़ग़ानिस्तान सरकार का दबदबा कम ही रहा है. ये तालेबान का मुख्य गढ़ बनकर उभरा है. कुछ दूर पाकिस्तान सीमा पर ब्लूचीस्तान का दूरगामी नोशकी-चाघई इलाक़ा है.
अफ़ग़ान सीमा के पास बारामचा से तालेबान चरमपंथी गतिविधियाँ नियंत्रित करता है. हेलमंद में ब्रितानी सैनिकों का अड्डा है और अतिरिक्त अमरीकी सैनिकों को भी यहाँ तैनात किया गया है.

कंधार, क्वेटा

कंधार को तालेबानी लहर का आध्यात्मिक गढ़ माना जाता है. तालेबान नेता मुल्ला उमर ने इसे मुख्यालय बनाया था जब 1996 में तालेबान सत्ता में आई थी. लादेन समेत अल क़ायदा के नेता भी इसी जगह को तरजीह देते थे.
इसलिए कंधार पर क़ब्ज़ा प्रतिष्ठा का सवाल रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में सबसे पहले आत्मघाती हमले कंधार में 2005-06 में हुए थे. हामिद करज़ई पर भी यहाँ हमला हो चुका है
अफ़ग़ान सरकार इस बात में सफल रही है कि उसने कंधार के किसी अहम हिस्से पर तालेबान का क़ब्ज़ा नहीं होने दिया. गठबंधन सेना के भी यहाँ अड्डे हैं. लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में तालेबान का दबदबा है ख़ासकर पाक सीमा के पास.
अधिकारियों का कहना है कि कंधार सीमा के पास और पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा का इस्तेमाल तालेबान छिपने के लिए करता आया है. कुछ लोग मानते हैं मुल्ला उमर कंधार या हेलमंद में छिपे हैं.

स्वात


उत्तर पाकिस्तान में बसी स्वात घाटी में लंबे समय तक ब्रितानी समय की क़ानून व्यवस्था लागू थी लेकिन 90 के दशक में एक अदालत ने इसे ग़ैर क़ानूनी करार दे दिया था.इसके बाद स्वात में इस्लामिक क़ानून लागू करने के लिए स्वात और मालाखंड में हिंसक अभियान शुरु हो गया.
हालांकि 1994 में इस हिंसा का ख़ात्मा कर दिया गया था लेकिन 9/11 हमलों के बाद ये अभियान फिर शुरु हो गया. और इसमें वज़ीरिस्तान, बाजौड़ और दीर ज़िले के चरमपंथी भी शामिल हो गए.
अप्रैल 2009 में सरकार और स्थानीय तालेबान के बीच समझौते के तहत स्वात में शरिया क़ानून लागू हो गया लेकिन समझौते के मुताबिक चरमपंथियों ने हथियार नहीं डाले. चरमपंथियों ने इसी दौरान अपनी पहुँच बुनेर तक बना ली यानी इस्लामाबाद से करीब 100 किलोमीटर दूर. अफ़गान सीमा से सेट दीर ज़िले में चरमपंथियों की मौजूदगी भी अंतरराष्ट्रीय सेना के लिए ख़तरा बनी हुई थी.
स्वात से तालेबान का हटाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने 2009 में बड़ा अभियान चलाया. सेना का कहना है कि उसने बहुत सारे इलाक़ों से तालेबान को खदेड़ दिया है. स्वात के मिंगोरा शहर पर मई पर कब्ज़ा कर लिया गया था.

ज़ाबुल


ज़ाबुल कंधार के उत्तर में स्थित है और रिपोर्टों के मुताबिक चरमपंथी इस इलाक़े का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में करते हैं. वर्ष 2002 में तालेबान चरमपंथी अमरीकी अभियान के बाद भाग रहे थे तो वे ज़ाबुल के ज़रिए ही अफ़ग़ानिस्तान में दोबारा घुसे थे.
ज़ाबुल के ज़रिए अफ़गानिस्तान के ग़ज़नी, उरुज़गान और कंधार इलाक़ों तक पहुँच बनाई जा सकती है. इस इलाक़े में बहुत कम गठबंधन सेना के सैनिक मौजूद हैं. चरमपंथियों के कारण यहाँ के हाईवे पर अधिकारी या राहतकर्मी यात्रा नहीं करते.

कुर्रम, औरकज़ई, खाइबर


पाक-अफ़गान सीमा से अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल (56 कीलोमीटर की दूरी) पर अभियान चलाने के लिए कुर्रम सबसे अच्छी जगह है. लेकिन ये शिया बहुल इलाक़ा है जो धार्मिक कारणों से तालेबान के विरोधी रहे हैं. इसलिए तालेबान यहाँ गढ़ नहीं बना पाया है.

दक्षिण वज़ीरिस्तान


पाकिस्तान के फ़ाटा का कबायली ज़िला दक्षिण वज़ीरिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के बाहर इस्लामिक चरमपंथियों का पहला गढ़ माना जाता है. तोरा-बोरा से निकाले गए चरमपंथियों ने 2001 के बाद यहीं शरण ले थी. दक्षिणी वज़ीरिस्तान के पूर्वी हिस्से में महसूद कबीले के लोग रहते हैं और मुख्य कमांडर बैतुल्ला महसूद रहे हैं. हालांकि वे ज़िंदा है या नहीं इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. वे पाकिस्तान में सबसे बड़े चरमपंथी संगठन के नेता माने जाते हैं. महसूद ने 2006 में तहरीक तालेबान पाकिस्तान संगठन बनाया था.
IAS OUR DREAM COMPLETED SEVEN YEARs ON AUGUST 13,2016

Blog Archive