संयुक्त राष्ट्र के मुख्य वार्ताकार ने दुनिया भर के देशों को आगाह किया है कि यदि जलवायु परिवर्तन पर सवालों के जवाब न ढ़ूढ़े गए तो आने वाले समय में मुसीबत हो सकती है.
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जलवायु परिवर्तन पर विकसित और विकासशील देशों में बहुत से राजनीतिक मतभेद हैं
उन्होंने कहा है कि तीन बड़े राजनीतिक सवाल हैं और इनके जवाब इस वर्ष के अंत में होने वाले कोपेनहैगन सम्मेलन में तलाश करने होंगे.
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य वार्ताकार यो डीबोयर ने यह बात बीबीसी के कार्यक्रम 'वन प्लैनेट' में कही है.
अहम सवाल
उनका कहना है कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए अमीर देशों को कम से कम 10 अरब डॉलर जुटाने की ज़रुरत है जिससे कि विकासशील देशों को ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में मदद की जा सके.
डीबोयर का कहना है कि विकसित देशों की ओर से विकासशील देशों के लिए 10 अरब डॉलर की राशि न्यूनतम है और सम्मेलन की सफलता का एक पैमाना इस राशि का जुटना होगा, लेकिन इसके अलावा भी बहुत कुछ किया जाना है.
उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए दो और अहम सवाल हैं और इनके जवाब दिसंबर में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ढूँढ़ने होंगे.
उनका कहना है कि एक तो अमीर देशों को वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा.
हालांकि उन्होंने इस लक्ष्य को लेकर कोई आँकड़े नहीं दिए लेकिन उनका कहना था कि 1990 के आँकड़ों की तुलना में कमी का यह लक्ष्य 25 से 40 फ़ीसदी तक होना चाहिए. वैसे उन्होंने स्वीकार किया है कि यह लक्ष्य कोई आसान लक्ष्य नहीं है.
उनका कहना था कि दूसरा सवाल यह है कि चीन, भारत और ब्राज़ील जैसे बड़े विकासशील देश उसी तरह विकास की राह पर आगे नहीं बढ़ सकते जिस तरह से वे अभी बढ़ रहे हैं.
उनका कहना था कि इन देशों को भी अपने गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे.
डीबोयर का कहना था, "कोपेनहैगन सम्मेलन में इन सवालों के जवाब ढूँढ़ने होंगे और यह सम्मेलन विफल हो जाएगा यदि इन राजनीतिक सवालों के जवाब नहीं ढूँढ़े गए."
उनका कहना था कि कोपेनहैगन सम्मेलन में बहुत थोड़े राजनीतिक अवसर उपलब्ध हैं और अगर इस अवसर का उपयोग नहीं किया गया तो बहुत मुसीबत होगी.