Tuesday, October 6, 2009


हमारा दिमाग मांसपेशियों की तरह उतना सिकुड़ता या फैलता है, जितना हम उससे व्यायाम करवाते हैं। इसलिए दिमाग को नए विचारों की खुराक देते रहें।
हम सुनते रहे हैं कि ज्ञान एक शक्ति है, पर असल में ज्ञान तो महज जानकारी का नाम है। ज्ञान में शक्ति बनने की क्षमता है और यह तभी श्क्ति बनता है, जब इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसे अच्छे विचारों की खुराक मिलती है।

इसके लिए हमें दुनिया से कदमताल कर चलना पड़ता है। कहीं आप चूक गए, तो दुनिया आगे निकल सकती है। जॉन को ही लें वह पांच साल से एक कंपनी के लिए काम कर रहा था। इन सालों में उसकी तनख्वाह एक बार भी नहीं बढ़ी थी। उधर एक नए लकड़हारे बिल की एक साल के अंदर ही तरक्की हो गई। यह बात सुनकर जॉन को बहुत बुरा लगा और बात करने के लिए वह अपने मालिक के पास जा पहुंचा। मालिक ने जवाब दिया, "तुम आज भी उतने ही पेड़ काट रहे हो, जितने आज से पांच साल पहले काटा करते थे। अगर तुम्हारी उत्पादन क्षमता बढ़ जाए, तो हमें तुम्हारी तनख्वाह बढ़ाने में खुशी होगी।"

जॉन वापस चला गया और पेड़ों की कटाई करने में खूब मेहनत से देर तक जुटा रहता। इसके बावजूद भी वह ज्यादा पेड़ नहीं काट पाया। निराश होकर उसने अपनी परेशानी मालिक को बताई। मालिक ने जॉन को बिल के पास जाने की सलाह दी, और कहा, "हो सकता है, उसे कुछ मालूम हो, जो हमें और तुम्हें मालूम नहीं है।" जॉन ने बिल से पूछा कि वह ज्यादा पेड़ कैसे काट पाता है। बिल ने कहा "हर पेड़ को काटने के बाद दो-तीन मिनट तक रूकता हूं और अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करता हूं। तुम बताओ कि तुमने आखिरी बार अपनी कुल्हाड़ी की धार कब तेज की थी?" बिल के इस सवाल ने जॉन की आंखें खोल दीं और उसको अपना जवाब मिल गया। जरा आप भी विचार करें क्योंकि बीते हुए कल के गौरव और शिक्षा से काम नहीं चलता। हमें अपने ज्ञान की धार को लगातार तेज करते रहना पड़ेगा, अपडेट रहना होगा अन्यथा बाजी किसी और के हाथ लग जाएगी।
IAS OUR DREAM COMPLETED SEVEN YEARs ON AUGUST 13,2016

Blog Archive