वित्तीय क्षेत्र में खलबली
14 सितंबर 2007 -ब्रितानी बैंकिंग व्यवस्था बिगड़ने लगीक्रेडिट यानी कर्ज़ बाज़ार में आ रही परेशानी के कारण कर्ज़ देने वाले बैंक नॉर्दर्न रॉक ने बैंक ऑफ़ इंग्लैंड से मदद मांगी. पांच महीने बाद नार्दर्न रॉक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया.
वर्ष 2006 में ब्रितानी बैंक नॉर्दर्न रॉक ने लेहमन ब्रदर्स के साथ समझौते के तहत क़र्ज़ देने के क्षेत्र में क़दम रखा. लेहमन ब्रदर्स ने नुक़सान की ज़िम्मेदारी ली थी. लेकिन क्रेडिट बाज़ार में आने वाली कठिनाइयों के कारण सितंबर 2007 तक नार्दर्न रॉक को परेशानी पेश आने लगी थी. नॉर्दर्न रॉक को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के ज़रिए वित्तीय सहायता दी गई.
महारानी विक्टोरिया के ज़माने के बाद ब्रिटेन में पहली बार किसी ‘बैंक के फ़ेल होने’ की चर्चा होने लगी. ब्रिटेन में 1970 के दशक के बाद पहली बार 22 फ़रवरी 2008 को राष्ट्रीयकरण हुआ. सितंबर 2008 में लॉयड्स टीएसबी बैंक ने स्कॉटलैंड के हैलिफ़ैक्स बैंक का अधिग्रहण किया. एक महीने बाद ब्रितानी सरकार इस विशालकाय बैंक और रॉयल बैंक ऑफ़ स्कॉटलैंड के बचाव के लिए सामने आई.
वैश्विक संकट
7 सितंबर 2008 - फ़ैनी मे और फ़्रेड्डी मैक का बचाव
अमरीकी हाउसिंग बाज़ार को ढेर होने से बचाने के लिए अमरीकी सरकार ने कर्ज़ देने वाले बड़ी संस्थाओं - फ़ैनी मे और फ़्रेड्डी मैक को मदद दी.
अमरीका में हाउसिंग बाज़ार को ढेर होने से बचाने के लिए अमरीकी सरकार ने करदाता के पैसे से दो बड़े और महत्वपूर्ण कर्ज़ दाताओं का बचाव किया. ये उस सप्ताह की शुरुआत थी जब वित्तीय बाज़ार का वास्तविक संकट सामने आया. इसी दिन फ़ैनी मे और फ़्रेड्डी मैक को अमरीकी सरकार ने बचाया. अगले दिन लेहमन ब्रदर्स का शेयर 45 प्रतिशत गिरा और संकट की चर्चा होने लगी. यह वित्तीय संकट की शुरुआत थी जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया.
15 सितंबर 2008 - लेहमन ब्रदर्स दिवालिया हुआ
अमरीकी सरकार ने अमरीकी निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स को संकट से बचाने से इनकार कर दिया और लेहमन ब्रदर्स दिवालिया हो गया. अमरीकी बाज़ार तीन प्रतिशत गिरा. बैंक ऑफ़ अमेरीका ने एक अन्य बड़े निवेशक और कर्ज़ दाता मेरिल लिंच को ख़रीद लिया.
लेहमन ब्रदर्स ने दिवालिया होने से बचाए जाने की अपील की और बताया कि उसके कर्ज़ में 613 अरब अमरीकी डॉलर, 155 अरब डॉलर के बॉंड और 639 अरब अमरीकी डॉलर की संपत्ति शामिल हैं. पूरी दुनिया में लेहमन ब्रदर्स के कर्मचारियों को अपने निजी सामान और चीज़ें समेटते हुए दिखाया गया. इसी दौरान बैंक ऑफ़ अमरीका ने निवेशक मेरिल लिंच को 50 अरब डॉलर में ख़रीद लिया.
16 सितंबर 2008 - बीमा कंपनी एआईजी को बचाया गया
अमरीकी ख़ज़ाने से 85 अरब डॉलर के क़र्ज़ के ज़रिए बीमा कंपनी ऐआईजी को बचाया गया जिसने लोगों के कर्ज़ लौटाने की गारंटी दी थी.
जब अमरीका में एआईजी की क्रेडिट रेटिंग यानी कर्ज़ लौटाने की विश्वसनीयता को ‘एए’ से नीचे आंका गया तो अमरीकी फ़ेडरल रिज़र्व बैंक ने 85 अरब अमरीकी डॉलर के कर्ज़ देने का प्रावधान किया (बाद में इसे 180 अरब अमरीकी डॉलर तक बढ़ा दिया गया). अमरीकी प्रशासन का मानना था कि इस विशाल बीमा कंपनी को गिरने नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसका व्यापक असर हो सकता था और हर स्तर पर महसूस किया जाता. इस कंपनी से तीन करोड़ अमरीकियों ने पॉलिसी ली हुई थीं और 130 देशों में इसका काम फैला हुआ था. यही नहीं एआईजी ने एक लाख कंपनियों और अन्य संस्थाओं को बीमा कवर दे रखा था. ऐआईजी को संकट से बचाने के बावजूद अमरीकी शेयर बाज़ार तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया और उतार-चढ़ाव जारी रहे. डाओ जोंस का औद्योगिक औसत भी चार प्रतिशत गिर कर 10,609.66 तक पहुंच गया.
19 सितंबर 2008 - 700 अरब डॉलर की आपात मदद की माँग
अमरीकी वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन 700 अरब डॉलर के आपातकाल पैकेज की मांग करते हैं जिसे अक्तूबर में मंज़ूरी मिलती है.
अमरीकी वित्त मंत्री हेनरी पॉलसन ने ‘ट्रबुल्स ऐसेट रिलीफ़ प्रोग्राम’ या ‘टीएआरपी’ का प्रस्ताव रखा. ‘इमर्जेंसी इकनॉमिक स्टेबलाइज़ेशन’ क़ानून 2008 को आम तौर पर अमरीकी वित्तीय व्यवस्था को संकट से निकालने वाले क़ानून के तौर पर जाना जाता है. यह ऐसा क़ानून है जिसे वित्तीय संकट को देखते हुए बनाया गया और इसके तहत अमरीकी वित्त मंत्री को इजाज़त दी गई कि वे 700 अरब डॉलर ख़र्च कर मुश्किल में फंसी संपत्ति और बैंकों की मदद कर सकते हैं. कांग्रेस में काफ़ी बहस के बाद टीएआरपी को तीन अक्तूबर 2008 को संसद में मंज़ूर कर लिया गया. (एएफ़पी)
21 सितंबर 2008 - निवेशक बैंकिंग मॉडल की समाप्ति
गोल्डमैन सैक्स और मोरगन स्टेनली निवेशकों ने निवेशक बैंकों के तौर पर अपनी मान्यता को ख़त्म किया. वाशिंगटन म्युचुअल बंद हुआ.
दो निवेश बैंकों को निवेशक बैंक से पारंपरिक बैंक में परिवर्तित करने की नियामक मंज़ूरी मिली जिसके साथ ही वॉल स्ट्रीट पर एक युग का अंत हो गया. चार दिन बाद अमरीका में ही बैंकिंग क्षेत्र की बड़ी विफलता नज़र आई जब 307 अरब डॉलर की संपत्ति वाली वाली बड़ी कंपनी वॉशिंगटन म्यूचु्यल को नियामकों ने बंद कर दिया और जेपी मोरगन चेज़ को बेच दिया.
12 अक्तूबर 2008 - यूरोप की बैंकिंग व्यवस्था को बचाने की योजना
यूरोप में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने अपने बैंकों को बचाने के लिए अरबों यूरो की बचाव योजना की घोषणा की.
जर्मनी ने 500 अरब यूरो (683 अरब अमरीकी डॉलर) के एक पैकेज की मंज़ूरी दी, फ़्रांस ने 350 अरब यूरो का वादा किया और स्पेन ने 100 अरब यूरो अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अलग रखे. पंद्रह देशों की मंज़ूरी से बनी योजना के तहत इस राशि का ज़्यादातर भाग बैंकों के बीच लेन-देन की गारंटी के तौर पर इस्तेमाल किया जाना है. हताश यूरोपीय नेताओं ने वित्तीय मंदी को रोकने के प्रयास तेज़ कर दिए. दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों ने कहा कि इस संकट से निपटने के लिए वे वित्तीय संस्थानों को लघु-अवधि के लिए असीमित क़र्ज़ डॉलर में देने के लिए तैयार हैं.
संकट से उबरने की कोशिशें
15 नवंबर 2008 - वॉशिंगटन में जी-20 शिखर सम्मेलनजी-20 देशों के नेता भविष्य में कड़े वित्तीय नियामकों के तहत मिलकर काम करने की प्रतिज्ञा करते हैं.
पिछले 60 वर्षों के दौरान आने वाले सबसे बड़े वित्तीय संकट के बीच विश्व के बड़े नेता वाशिंगटन में मिले और उन्होंने भविष्य में कड़े वित्तीय नियामकों के तहत मिलकर काम करने की प्रतिज्ञा की. चीन ने 585 अरब अमरीकी डॉलर की बचाव योजना की घोषणा की. दिसंबर में अमरीकी केंद्रीय बैंक ने गहराती हुई आर्थिक मंदी को रोकने की कोशिश में अपनी ब्याज दर घटा कर 0-0.25 कर दी.
14 फ़रवरी 2009 - पुनरुत्थान योजना से ‘प्रोटेक्शनिज़म’ का डर
अमरीकी कॉंग्रेस ने 787 अरब अमरीकी डॉलर की पुनरुत्थान योजना को मंज़ूर किया. जी-7 ने प्रोटेक्शनिज़म यानी ‘अर्थव्यवस्था को देश के बाहर के प्रभावों से अलग रखने’ की नीति से बचाने की घोषणा की.
अमरीकी कांग्रेस ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रोत्साहन के कारण 787 अरब डॉलर की आर्थिक पुनरुत्थान योजना को मंज़ूरी दी जिसमें ‘बाई अमेरिकन’ यानी अमरीकी उत्पाद ही ख़रीदे के एक अनुच्छेद के कारण ये डर पैदा हुआ कि कहीं विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में ‘प्रोटेक्शनिज़म’ यानी अर्थव्यवस्था को देख के बाहर के प्रभावों के अलग रखने की नीति को बढ़ावा तो नहीं दिया जा रहा है. इटली में हुए जी-7 के सम्मेलन में वित्त मंत्रियों ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट से लड़ने के लिए स्वतंत्र व्यापार में रुकावटें खड़ी करने से संकट और बढ़ेगा. अमरीका ने इसका खंडन किया. अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में तत्काल सुधार करने का अनुरोध किया और कहा कि आर्थिक संकट ने ये दिखाया है कि विश्व की आर्थिक व्यवस्था में कमज़ोरियाँ हैं.
1 अप्रैल 2009 - लंदन में जी-20 सम्मेलन
विश्व के नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए अतिरिक्त 1.1 खरब अमरीकी डॉलर देने की वादा किया ताकि विकासशील देशों के बाज़ारों को मदद मिल सके.
जी-20 सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की पूँजी बढ़ाने पर सहमति बनी. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर निगरानी करने वाले संस्थान आईएमएफ़ के मौजूदा संसाधनों में 750 अरब अमरीकी डॉलर तक की वृद्धि पर सहमति बनी. आईएमएफ़ ने विश्व व्यापार में आने वाली कमी और ‘प्रोटेक्शनिज़म’ से लड़ने के लिए अतिरिक्त 250 अरब अमरीकी डॉलर देने का वादा किया. वित्तीय संस्थानों की निगरानी के लिए नए कड़े नियामक तय करने को भी मंज़ूरी दी गई. इसके फ़ौरन बाद ब्रितानी चांसलर ऐलिस्टेयर डारलिंग ने बताया कि वित्तीय संकट के कारण ब्रितानी वित्तीय इतिहास में बजट का सबसे बड़ा 175 अरब पाउंड का वित्तीय घाटा होगा. सरकार का पूरा कर्ज़ दोगुना हो कर वर्ष 2014 तक 1000 अरब पाउंड हो जाएगा.