भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रमुख अनिल काकोदकर ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संघ के सम्मेलन में घोषणा की है कि भारत ने एक नया परमाणु उर्जा संयंत्र बनाया है.
अनील काकोदकर ने कहा है कि भारत ने 300 मेगावाट की क्षमता वाला एडवांस हेवीवॉटर रिएक्टर बनाया है जो ईंधन के लिए कम दर्जे के साथ थोरियम का इस्तेमाल करता है.
दुनिया के ज़्यादातर परमाणु रिएक्टर ईंधन के लिए यूरेनियम या प्लूटोनियम का इस्तेमाल करते हैं जबकि भारत के नए रिएक्टर का मुख्य ईँधन थोरियम है.
थोरियम भारत में बड़ी मात्रा में उपलब्ध है जबकि यूरेनियम के लिए भारत कई दूसरे देशों पर निर्भर है.
ज़ाहिर सी बात है कि एडवांस हेवी वॉटर रिएक्टर के विकास से भारत को अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में तो मदद मिलेगी ही लेकिन वो यह तकनीक अन्य विकासशील देशों को भी बेच सकता है.
थोरियम आधारित संयंत्र
भारत पहले ही 220 मैगावाट की क्षमता वाला थोरियम ईंधन पर आधारित रिएक्टर बना चुका है.साइंस पत्रिका के भारत में पत्रकार और विज्ञान संबंधी मामलों के जानकार पल्लव बागला का कहना है, ''आने वाले दस वर्षों में भारत दुनिया के छोटे देशों को यह परमाणु संयत्र बेचने का इरादा रखता है.''
220 मेगावाट वाले रिएक्टरों के संबंध में कज़ाकस्तान और वियतनाम जैसे देशों को रूचि है लेकिन 300 मेगावाट वाले जिस रिएक्टर की घोषणा अनिल काकोडकर ने की है वो ज्यादा आधुनिक है और उसके निर्यात से पहले देखना होगा कि वो भारत में कितना सफल होता है.
पिछले साल भारत में अमरीका के साथ की गई परमाणु संधि को लेकर विवाद इस कदर बढ गया था कि यूपीए सरकार के बने रहने पर ही संकट छा गया था.
सवाल यह है कि जब भारत थोरियम पर आधारित परमाणु रिएक्टर विकसित कर चुका है तो फिर भारत को यूरेनियम पर आधारित रिएक्टर टेक्नोलॉजी पाने के लिए यह विवाद मोल लेने की क्या ज़रूरत थी.
के संथनम परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रमुख अनिल काकोदकर की इस दलील से भी सहमत हैं कि एडवांस हेवी वॉटर रिएक्टर में इस्तेमाल किए गए यूरेनियम सामग्री से हथियार बनाना भी मुश्किल होगा. अगर यह सही साबित होता है तो परमाणु अप्रसार के लिए कोशिश कर रहे देशों की चिंताएं भी कम होंगी.