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आईटीआर निदेशक एसपी दास ने बताया कि अग्नि-1 का परीक्षण सही रहा तथा प्रायोगिक उड़ान पूरी तरह सफल रही।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि स्वदेश निर्मित और सतह से सतह पर मार करने वाली ठोस ईंधन चालित एकल चरण मिसाइल को आईटीआर के प्रक्षेपण स्थल चार से एक रेल मोबाइल लांचर के जरिए दागा गया।
उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान सभी मानक हासिल हो गए। मिसाइल प्रयोक्ता भारतीय सेना की समारिक बल कमान ने अपने प्रशिक्षण अभियान के रूप में समूचे प्रक्षेपण अभियान का संचालन किया। इसके लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन :डीआरडीओ: ने साजो..सामान मुहैया कराया।
डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया कि मिसाइल में उच्च कोटि की नौवहन प्रणाली लगी है जिसकी वजह से यह अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने में सफल होती है। समूचे प्रक्षेपास्त्र पर समुद्र तट स्थित आधुनिक राडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिक टेलीमेट्री केंद्रों तथा मिसाइल गिरने के क्षेत्र में प्रभाव स्थल के नजदीक स्थित दो जहाजों से नजर रखी गई।
पंद्रह मीटर लंबी अग्नि-1 का वजन 12 टन है जो एक हजार किलोग्राम तक का भार ले जाने में सक्षम है। सेना में इसे पहले ही शामिल किया जा चुका है।