Saturday, December 11, 2010

We expect changes in IAS Mains too..but after 2-3 years nt to worry for now...

सिविल सेवा परीक्षा के प्रीलिम्स में वैकल्पिक विषय की जगह एप्टीट्यूड टेस्ट के फैसले के बाद सरकार का अगला कदम इसकी मुख्य परीक्षा (मेन्स) के स्वरूप में भी व्यापक बदलाव लाने का है। लेकिन इसमें अभी दो साल लग सकते हैं।

केंद्रीय कार्मिक सचिव शांतनु काउंसुल ने भास्कर को बताया कि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति प्रीलिम्स के एप्टीटच्यूड टेस्ट का सिलेबस बनाने में अभी कम से कम दो से तीन महीने का समय लेगी। जबकि परीक्षा मई 2011 में होगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार मुख्य परीक्षा के सिलेबस को भी पूरी तरह बदलने पर विचार कर रही है।

अभी मुख्य परीक्षा में एक निबंध का पेपर, सामान्य ज्ञान के दो पेपर, दो वैकल्पिक विषयों में से हर एक के दो-दो पेपर और एैच्छिक भाषा के दो प्रश्न पत्र यानी कुल नौ पेपर हल करने होते हैं। अब छात्रों को भारत की अर्थव्यवस्था, सामाजिक स्थिति, राजनीति, अंतरराष्ट्रीय संबंध, भूगोल और संस्कृति जैसे विषयों की परीक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी।

इसका मकसद ऐसे नौकरशाह तैयार करना है जो केवल किताबी ज्ञान में महारत न रखते हों। बल्कि ऐसे हों जिन्हें रोज वास्ता पड़ने वाले विषयों का भी व्यवहारिक ज्ञान हो। काउंसुल ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव लाकर सरकार दोहराव दूर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि अभी प्रीलिम्स और मेन्स दोनों ही परीक्षाओं में एक जैसे वैकल्पिक विषय होते हैं। साथ ही गणित, इंजीनियरिंग जैसे हाई-स्कोरिंग विषय लेने वाले छात्रों के मुकाबले पोलिटिकल साइंस, फिलॉसफी और सोशियोलॉजी जैसे लो-स्कोरिंग विषय लेने वाले छात्रों के साथ नाइंसाफी भी हो रही थी।

हालांकि यूपीएससी ने दोनों में बराबरी लाने के लिए एक प्रक्रिया (स्केलिंग) बनाई थी लेकिन इससे छात्र कभी संतुष्ट नहीं हुए। इसलिए भी क्योंकि यूपीएससी ने इस प्रक्रिया को हमेशा गोपनीय रखा। इसके खिलाफ अदालत में भी मामले चल रहे हैं। इस प्रक्रिया के बारे में लोगों को यह शिकायत भी थी कि इससे छात्रों के एप्टीटच्यूड का आकलन नहीं हो पाता बल्कि इससे केवल रटकर पास होने वाले छात्र ही नौकरशाही का हिस्सा बन पाते हैं।

दिल्ली स्थित राव आईएएस स्टडी सर्किल के निदेशक वीपी गुप्ता का मानना है कि नई प्रक्रिया से आईएएस की परीक्षा निष्पक्ष और सटीक हो जाएगी।

हालांकि इससे होने वाले असर को लेकर विशेषज्ञों के मन में अस्पष्टता है। पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमनियन कहते हैं, यूं तो यह एक अच्छा कदम है, लेकिन एप्टीट्यूड को लिखित परीक्षा से नहीं जांच सकते। ऐसा हुआ तो कोचिंग चलाने वाले प्रश्नों का सेट निकाल लेंगे कि जिनके उत्तर रटकर एप्टीट्यूड परीक्षा भी पास की जा सकेगी।